नाना मातीशी जुळलेला माणूस, नाना पाटेकर यांचे खरे नाव विश्वनाथ पाटेकर आहे. मराठी व हिंदी चित्रपट सृष्टीतील एक लखलखणारा तारा नाना आहे. आज नानाचे काही हिंदी संवाद बघूया ज्यामुळे प्रेक्षकांनी त्याला डोक्यावर घेतले..
असे फार कमी लोक असतील ज्याला नाना आवडत नाही. कॉमेडी ते गंभीर सर्व प्रकारचा अभिनयाचा नाना हुकुमी एक्का आहे. ’गमन” या चिञपटातून त्यांनी 1978 साली चिञपटस्षृटीत पदार्पण केले. नाना दानशूर आहेत. त्यांना राज कपूर पुरस्कार मिळाल्यानंतर त्यांनी त्या पुरस्कारची 10 लाख रूपये रक्कम शेतकऱ्यांना दिली.पद्मश्री सहीत त्यांना एकूण 16 राष्ट्रीय पुरस्काराने गौरविण्यात आले आहे.
आम्ही त्यांचे काही फेमस हिंदी डायलॉग निवडलेले आहेत. कदाचित तुमचाही एखादा आवडता डायलॉग यामध्ये असेल..
- कुत्ते की तरह जीने की आदत पड़ी है सबको क्रांतिवीर
- अपना तो उसूल है, पहले लात, फिर बात, उसके बाद मुलाकात तिरंगा
- आ गये मेरी मौत का तमाशा देखने क्रांतिवीर
- साले अपने खुद के देश में एक सुई नहीं बना सकते और हमारा देश तोड़ने का सपना देखते हैं क्रांतिवीर
- एक मच्छर साला आदमी को हिजड़ा बना देता है यशवंत
- यह मुसलमान का खून ये हिंदू का खून… बता इस में मुसलमान का कौनसा हिंदू का कौन सा, बता ? क्रांतिवीर
- गिरो सालों गिरों, लेकिन गिरो तो उस झरने की तरह, जो पर्वत की ऊंचाई से गिरके भी अपनी सुंदरता खोने नहीं देता… जमीन के तह से मिलके भी अपनी अस्तिव को नष्ट नहीं होने देता. यशंवत
- भगवान का दिया हुआ सब कुछ है… दौलत है, शोहरत है, इज्जत है… वेलकम बैक
- यह तो लाल मिर्च है तीखी तीखी… हाथ लगाओ तो हाथ जले मुंह लगाओ तो मुंह जले… दिल लगाओ तो दिल जले… तिरंगा
- मराठा मारता है, मरता नहीं. तिरंगा
- ऊपर वाला भी ऊपर से देखता होगा तो उसे शर्म आती होगी, सोचता होगा मैंने सबसे खूबसूरत चीज बनाई थी, इंसान… नीचे देखा तो सब कीड़े बन गये… कीड़े. क्रांतिवीर
- ये शरीफ लोग बहुत बदमाश होते हैं… शराफत की जुबान नहीं सझते. वेलकम
- तुझे ऐसी मौत मारूंगा कि तेरी पापी आत्मा अगले सात जन्म तक, किसी दूसरे शरीर में घुसने के पहले कांप उठेगी. तिरंगा
- जान मत मांगना… इसकी बाज़ार में कोई कीमत नहीं. गुलाम ए मुस्तफा
- सौ में अस्सी बेइमान है… फिर भी मेरा देश महान यशवंत
- कौन सा कानून, कैसा कानून… यह कानून तो चंद मुजरिमों की रखैल बन बैठा है. तिरंगा
- यह दुख नाम की बीमारी का इलाज किसी डॉक्टर के पास नहीं… इसका इलाज खुद ढूढना पड़ता है. दुख को भूलना पड़ता है. परिंदा
- धंधे में कोई किसी का भाई नहीं, कोई किसी का बेटा नहीं. परिंदा
- उसने रुलाया है.. वही हंसायेगा. गुलाम ए मुस्तफा
- पंद्रह सौ की नौकरी करने वाला… एक दिन तुझे सौ का कफन पहनायेगा तिरंगा
- ऊपर वाले ने इंसान के शरीर में नौ छेद किये हैं.. दो कान के, दो नाक के, दो आंख के एक मुंह के… बाकी के दो तू जानता है… सपने में भी गलत सोचा ना, दसंवा छेद कर दूगा अब तक छप्पन 2
- मौत से बढ़कर कोई दोस्त नहीं है.. हमेशा मेरे साथ चलती है. गुलाम ए मुस्तफा
- बीवी भी एक अजीब तरह की पहेली है… साल भर मिया को परेशान करके जीने नहीं देती… और करवा चौथ का व्रत करके मरने नहीं देती. वेलकम बैक
- बेहतर है तू अपना इरादा बदल दे.. नहीं तो मैं तेरा नक्शा बदल दूंगा गुलाम ए मुस्तफा
- तुम लोग सोसाइटी का कचरा है, मैं सोसाइटी का जमादार. अब तक छप्पन 2
- तू अपने करोड़ पे, मैं अपने रोड पे… मजे करेंगे… टैक्सी न. 9211
हे आहेत नानाचे काही फेमस हिंदी डायलॉग आवडल्यास नक्की शेअर करा…
राजकुमार यांचे लई भारी ४२ डायलाॅग नक्की बघा. दैनंदिन आयुष्यात कामी येतील…
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